Saturday, May 28, 2011

होराम्बो लौज



विद लव फ्रॉम किलिमंजारो !
होराम्बो लॉज! तंज़ानिया के किलिमंजारो प्रांत के मोशी शहर के एक किनारे पर बना एक छोटा सा होटल लॉज जहाँ लिलियन काम करती है और मोशी- किलिमंजारो और लिलियन का घर! यहाँ मुझे मिले जीवन के दो अनुभव जो कहीं मेरे अंतस में गहरे जा बैठे हैं.
किलिमंजारो ज्वालामुखी विश्व का सबसे ऊँचा अकेला पहाड़ (टालेस्ट स्टैंड अलोन माउन्ट ) --स्वाहिली भाषा में इसका मतलब है चमकता पहाड़ ( किलिमा= पहाड़; नजरो= चमकदार) और यह है तंज़ानिया की पहचान जिसे देखने दुनिया भर से लाखों सैलानी हर साल आते हैं। जिसकी सबसे ऊँची चोटी ५८९५ मीटर है! हालाँकि माउन्ट एवरेस्ट की तुलना में और गणित के पैमाने पर आप कह सकते हैं कि हिमालय की दर्जनों चोटियाँ इससे ऊँची हैं पर यकीन मानिए ..अपनी आँख के सामने आकाश में लगभग ६ कि मी ऊपर उठे एक अकेले खूबसूरत पाइन के पेड़ जैसे पहाड़ का नज़ारा ...मेरे लिए इससे ज्यादा सुन्दर और खुशनुमा कुछ नहीं रहा!
" नाऊ यू कैन सी माउन्ट किलिमंजारो ऑन यौर राईट साइड" - इस उद्घोषणा के साथ ही जहाज के मुसाफिरों में जो हलचल होनी शुरू होती है वोह भी एक नज़ारा होता है. हर कोई अपना कैमरा लेकर इस कोशिश में की एक फोटो मिल जाए.. जहाज का सारा वजन मानो एक तरफ आ जुटता है. जमीन से देखने में तो बहुधा बादलों के कारण चोटी नहीं दिखाई पड़ती पर जहाज से अक्सर चोटी के दर्शन हो जाते हैं इसलिए मुसाफिर यह अवसर छोड़ते नहीं!.

साल दर साल उड़ते जहाज की खिड़की से इसे देखने का मजा में लेता रहा हूँ और इसके क्रेटेर और ग्लेशियर के फोटो भी लेता रहा था इस सपने के साथ कि कभी तो आमना सामना होगा लेकिन जब अचानक किलिमंजारो से मेरा सामना हुआ...
ईस्ट अफ्रीकन कम्युनिटी के मंत्रालय में कुछ काम से मैं अरुषा शहर आया था और अगले दिन मोशी में एक दिन कुछ मीटिंग जिन्हें ख़त्म करके अगले दिन सुबह मुझे ७ बजे दर एस सलाम की फ्लाईट लेनी थी सो में ३.०० बजे काम खतम करके शहर के दूसरे कोने में प्रेसिसन एयर के ऑफिस पहुंचा और मालूम हुआ की वहीँ से सुबह एयर पोर्ट की शटल ६.१५ को मिलेगी सो में जा पहुंचा होराम्बो लौज जो ठीक सामने था और चेक इन कर मेरे तीसरे फ्लोर के कमरे से कॉफ़ी का कप हाथ में लिए में बरामदे में आ खड़ा हुआ.

बाहर मैदान जो मीलों तक खतम होता नहीं दीख रहा था उसके दूसरे छोर को देखने के प्रयास में जो दिखा तो में स्तब्ध सा रह गया था. मेरे ठीक सामने जमीन से लेकर मीलों ऊपर आकाश में चमकते अग्नि स्तम्भ सा किलिमंजारो खड़ा था. इतना स्पष्ट , इतना भव्य और मैं अवाक् , रोंगटे खड़े और आँखे विस्फारित सी लिए जैसे सम्मोहन में था. उस दिन किलिमा मेरे साथ किंचित वार्ता की मुद्रा में था बहुत ही मेहरबान और लगभग आधे घंटे तक डूबते सूरज की किरणों में चमकती चोटी जैसे मेरी वर्षों की इच्छा को पूरा कर रही थी. मैने बचपन से सुना था की पेड़ और पहाड़ दिल की बात सुनते हैं और उस दिन इस सच को घटित होते देखा.

लिलियन से मेरी मुलाकात - होराम्बो लोज में हुई ....मै किलिमंजारो से अपनी बातचीत ख़त्म करके जल्दी खाने के लिए डाइनिंग हॉल में जा बैठा ..एक तो मैं शाकाहारी ब्रह्मण दूसरे तंज़ानिया में तो हर जगह गाय ही काटके परोसी जाती है तो छोटी जगहों पर बहुधा खाने की समस्या बनी ही रहती है सो वेटर को समझाने का असफल प्रयास कर रहा था कि मुझे क्या चाहिए कि लिलियन आ धमकी लगभग १९-२० साल की लड़की जो वहां काम करती है. -छोटा सा होटल सो रेसप्शिओं और अकाउंट दोनों ही देख लेती है...भीड़ भाड़ नहीं तो कुछ खास काम भी नहीं सो फुर्सत में थी. वेटर के साथ मेरी समस्या का समाधान करके मेरे जैसे नए प्राणी को देख बात करने बैठ गयी.

यू आर वैरी हैण्डसम मि. पन्त! मेरे कान खड़े हुए..आखिर ये स्वेछाचारिणी बाला कहना क्या चाहती है. पुरुष का अहम् ..अपने तमाम श्वेत केशों के बाद भी अपने चिरस्थायी केशोर्य का गुमान जाता कहाँ है! पर यहाँ के खुले आचरण के परिदृश्य में ये कोई अनहोनी जैसी बात थी भी नहीं ऐसे में मेरा सोच स्वाभाविक ही था पर मेरा डर दूर हो गया जैसे ही उसने कहा " आई वांट तो मेरी यौर सन, ही मस्ट बी हैण्डसम लाइक यू.. और में ठठाकर हंस पड़ा.." यू विल हैव टु वेट फॉर १५ मोर यीर्स ..ही इस ओनली ६."
छोटे कस्बों में रहने वाले लोग वैसे भी बातचीत और व्यवहार में खुले ही होते हैं सो सिलसिले में पता चला की किलिमंजारो के किसी कबीले के मुखिया की बेटी है..दसवीं तक पढ़ चुकी है और आगे की सोच रही है..पास में बैठी दूसरी लड़की को दिखा कर बोली की वोह उसकी सौतेली बहिन है आयेशा..उसके पिता की दूसरी पत्नी की बेटी! मैं थोडा चौंका..लिलियन और आयेशा..हाँ, माय मदर इज क्रिस्टियन एंड हर मदर इस मुस्लिम. ओह एंड यौर फादर? ही डस नॉट फ़ॉलो एनी रेलिजेन!
पता चला कि घर में २० लोग साथ रहते हैं और हर कोई अपने हिसाब से चर्च, मस्जिद जाता है और कोई प्रतिबन्ध नहीं है!

मुझे याद है कुछ साल पहले ज़न्ज़ीबार के एक हनुमान मंदिर में अँधेरे गर्भ गृह में पूजा करते समय मुझे अचानक दो बहुत ही गोरे खूबसूरत से हाथ हवा में तैरते हुए नज़र आये और उनसे कुछ फूल गिरे. में चौक गया कि यह हनुमान मंदिर में भूतनी कैसे फिर कनखियों से देखा तो समझ पाया के काले बुर्के से बाहर निकले थे और अंधरे के कारण बस हाथ ही दिखे....जंजीबार में ९०-९५% आबादी मुस्लिम है इसलिए हिन्दू मुस्लिम विवाह हो जाते हैं पर विवाह के बाद भी अपनी धार्मिक मान्यताएं पालन कि छूट होती है! इतना है की विवाह के समय यह तय कर लेना होता है कि अंतिम संस्कार अग्नि से होगा या फिर...
जब इसके सामने अपने देश के धार्मिक और सामाजिक परिदृश्य को देखता हूँ तो समझ नहीं पाता कि जीवन को आसान बनाने का प्रयास हम क्यों नहीं करते..आखिर मान्यताएं मनुष्य के लिए बनी हैं न कि मनुष्य मान्यताओं के लिए!

ऑनर किल्लिंग्स, ब्राइड बर्निग्स, जाति धर्म , भाषा इन सबके नाम पर हम अपने जीवन को क्या बना रहे हैं और क्या कुछ खो दे रहे हैं इसको समझाने का प्रयास शुरू कर देने के लिए अभी भी शायद देर नहीं हुई लेकिन गंगा की धारा और किलिमा के ग्लेशियर सदा नहीं रहेंगे .. जीवन के ये स्रोत खो जाएँ इसके पहले ही हमें कुछ करना होगा!
अन्वेषक